माओरी भाषा न्यू जीलैंड के माओरी लोगों की पारंपरिक भाषा है। इस भाषा में कई अद्भुत शब्द और संस्कृति से जुड़ी शब्दावली है जो किसी भी भाषा प्रेमी को आकर्षित कर सकती है। आज हम माओरी भाषा में गर्मी और सर्दी के शब्दों पर ध्यान देंगे। माओरी भाषा में गर्मी को “राउमाटी” और सर्दी को “ताकुरुआ” कहा जाता है।
राउमाटी (गर्मी)
राउमाटी माओरी भाषा में गर्मी के लिए प्रयुक्त शब्द है। यह शब्द न्यू जीलैंड के समर सीजन को बयान करता है जो दिसंबर से फरवरी तक चलता है। इस समय न्यू जीलैंड में मौसम गर्म होता है और लोग समुद्र तटों पर जाते हैं। राउमाटी के समय में रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं और प्रकृति अपनी पूरी सौंदर्यता में होती है।
राउमाटी के समय की गतिविधियाँ
राउमाटी के समय न्यू जीलैंड में कई रोमांचक गतिविधियाँ होती हैं। लोग समुद्र तटों पर जाते हैं, तैराकी करते हैं, सर्फिंग करते हैं और कैंपिंग भी करते हैं। इसके अलावा, कई त्योहार और संगीत समारोह भी आयोजित होते हैं जो इस समय को और भी रोमांचक बना देते हैं।
राउमाटी के समय में खानपान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। लोग ताजे फल और सब्जियाँ खाते हैं जो इस मौसम में उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा, बारबेक्यू और पिकनिक भी बहुत लोकप्रिय हैं।
ताकुरुआ (सर्दी)
ताकुरुआ माओरी भाषा में सर्दी के लिए प्रयुक्त शब्द है। यह शब्द न्यू जीलैंड के विंटर सीजन को बयान करता है जो जून से अगस्त तक चलता है। इस समय न्यू जीलैंड में मौसम ठंडा होता है और लोग गरम कपड़े पहनते हैं। ताकुरुआ के समय में प्रकृति सुप्त अवस्था में होती है और चारों तरफ सन्नाटा सा छाया रहता है।
ताकुरुआ के समय की गतिविधियाँ
ताकुरुआ के समय में लोग अंदरूनी गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। घर के अंदर बैठकर परिवार के साथ समय बिताना, किताबें पढ़ना और फिल्में देखना इस मौसम में बहुत लोकप्रिय है। इसके अलावा, स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग भी इस समय में काफी लोकप्रिय हैं।
ताकुरुआ के समय में खानपान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। लोग गरम सूप, स्टू और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाते हैं जो शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं।
राउमाटी और ताकुरुआ के बीच का अंतर
राउमाटी और ताकुरुआ के बीच मुख्य अंतर मौसम का है। राउमाटी के समय में मौसम गर्म होता है और लोग बाहर की गतिविधियों में ज्यादा रुचि लेते हैं। वहीं ताकुरुआ के समय में मौसम ठंडा होता है और लोग अंदरूनी गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
पर्यावरणीय प्रभाव
राउमाटी के समय में प्रकृति अपनी पूरी सौंदर्यता में होती है। फूल खिलते हैं, पेड़ हरे-भरे होते हैं और प्रकृति में जीवन का उत्साह दिखाई देता है। वहीं ताकुरुआ के समय में प्रकृति सुप्त अवस्था में होती है और पेड़-पौधे पत्तों को गिरा देते हैं।
सामाजिक प्रभाव
राउमाटी के समय में लोग बाहर ज्यादा समय बिताते हैं और सामाजिक गतिविधियों में ज्यादा रुचि लेते हैं। पारिवारिक समारोह, पिकनिक और त्योहार इस समय में आयोजित होते हैं। वहीं ताकुरुआ के समय में लोग घर में ज्यादा समय बिताते हैं और अंदरूनी गतिविधियों पर ध्यान देते हैं।
भाषाई अंतर
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