स्थितिकारी क्रियाएँ: अंग्रेजी व्याकरण में स्थितिकारी क्रिया की परिभाषा और प्रयोग
अंग्रेजी भाषा में व्याकरण का अध्ययन करते समय, हम स्थितिकारी क्रिया के बारे में सुनते हैं। स्थितिकारी क्रियाएँ वे क्रियाएँ होती हैं जो किसी स्थिति, अवस्था, या भाव को व्यक्त करती हैं। इन क्रियाओं के माध्यम से हम व्यक्ति की भावनाएं, स्थिति, या गुणों को व्यक्त कर सकते हैं। इस लेख में हम स्थितिकारी क्रियाओं के परिभाषा, प्रकार, और इन्हें प्रयोग करने के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
स्थितिकारी क्रियाओं की परिभाषा:
स्थितिकारी क्रियाएँ वे क्रियाएँ होती हैं जो किसी स्थिति, अवस्था, या भाव को व्यक्त करती हैं। इन क्रियाओं का उपयोग व्यक्ति की भावनाओं और स्थितियों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इन क्रियाओं के द्वारा हम ऐसी बातें व्यक्त करते हैं जो स्थायी फीलिंग और स्थिति को दर्शाती हैं, जैसे कि रचना, बंद करना, ध्यान देना, पसंद करना, प्रेम करना, बहाना करना, ख़ाना खाना, ब्रेक लेना, संबंध रखना आदि।
स्थितिकारी क्रियाएँ सामान्यतः निजी अनुभव या मानसिक दशा को व्यक्त करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये क्रियाएँ क्रियात्मक क्रियाओं के विपरीत होती हैं, जो कार्य, गतिविधि, या क्रियाओं को व्यक्त करती हैं।
स्थितिकारी क्रियाओं के प्रकार:
स्थितिकारी क्रियाओं को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. भावनात्मक क्रिया (Emotive verbs):
इस प्रकार की क्रियाएँ व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये क्रियाएँ व्यक्ति के मन, विचार, और भावनाओं को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, “मैं खुश हूँ” के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है कि व्यक्ति हालांकि आनंदित होने के लिए, बाकी सभी गतिविधियों को छोड़कर अपने भावनात्मक स्थिति में है।
2. धैर्य क्रिया (Stative verbs of state):
इस प्रकार की क्रियाएँ व्यक्ति की स्थितियों को व्यक्त करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये क्रियाएँ किसी व्यक्ति की स्थायी या स्थिर अवस्था को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, “मैं ठंड से परेशान हूँ” के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है कि व्यक्ति वर्तमान में ठंड में बीमार होने की स्थिति में है।
3. प्रतिष्ठान क्रिया (Stative verbs of state, condition or position):
इस प्रकार की क्रियाएँ व्यक्ति की स्थिति, अवस्था, या परिस्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये क्रियाएँ किसी व्यक्ति की गतिविधियों के साथ-साथ उसकी स्थान, स्थिति, या स्थिति को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, “मेरा घर बड़ा है” के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है कि व्यक्ति का घर एक बड़ी स्थिति में है और यह स्थाई तौर पर ही यह स्थिति रहेगी।
4. ज्ञान क्रिया (Stative verbs of perception):
इस प्रकार की क्रियाएँ व्यक्ति की ज्ञान या ज्ञान करने की क्षमता को व्यक्त करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। ये क्रियाएँ व्यक्ति की पंगु या निष्क्रिय गतिविधियों के साथ-साथ उसकी ज्ञान क्षमता, ध्यान, या संवेदनशीलता को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, “मुझे पता है” के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है कि व्यक्ति को ज्ञान है और वह किसी निश्चित बात को बताने की क्षमता रखता है।
5. क्रियात्मक-स्थितिकारी क्रिया (Dynamic-stative verbs):
इस प्रकार की क्रियाएँ दोनों क्रियात्मकता और स्थितिकारिता के स्वरूप में प्रयोग की जाती हैं। ये क्रियाएँ व्यक्ति की गतिविधियों के साथ-साथ उसकी स्थितियों या स्थितियों को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, “मैं प्यार करता हूँ” के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है कि व्यक्ति एक स्थिर भावना को धारण करके अपनी क्रियाओं को व्यक्त कर रहा है।
स्थितिकारी क्रियाओं का प्रयोग:
स्थितिकारी क्रियाएँ व्याकरण के नियमों के अनुसार उपयोग की जाती हैं। यहाँ हम कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में चर्चा करेंगे जो स्थितिकारी क्रियाओं के प्रयोग को संघटित करते हैं:
1. स्थितिकारी क्रिया से पूर्व निर्देशात्मक विशेषण का प्रयोग:
स्थितिकारी क्रिया से पूर्व आनेवाले विशेषण का प्रयोग किया जा सकता है ताकि व्यक्ति, स्थिति, या भावनाएँ अधिक स्पष्ट हों। उदाहरण के लिए, “मैं बहुत खुश हूँ”, “तुम्हारा घर बड़ा है”, “वह बहुत अच्छा लड़का है” आदि।
2. स्थितिकारी क्रिया से पूर्व नकारात्मक विशेषण का प्रयोग:
स्थितिकारी क्रिया से पूर्व आनेवाले नकारात्मक विशेषण का प्रयोग किया जा सकता है ताकि व्यक्ति, स्थिति, या भावना को नकारात्मक रूप में व्यक्त करें। उदाहरण के लिए, “मैं ठंड से परेशान नहीं हूँ”, “तुम्हारा घर छोटा नहीं है”, “वह बुरा नहीं है” आदि।
3. स्थितिकारी क्रिया से पहले के संज्ञा:
स्थितिकारी क्रिया से पहले के संज्ञा का प्रयोग किया जा सकता है ताकि स्थितियों या स्थितियों के बारे में अधिक जानकारी मिल सके। उदाहरण के लिए, “वह एक गाइड है”, “मैंने खाने का एक टुकड़ा खाया”, “तुम्हारे शहर का एक बड़ा पार्क है” आदि।
4. स्थितिकारी क्रिया से पहले की कार्यवाची:
स्थितिकारी क्रिया से पहले की कार्यवाची का प्रयोग किया जा सकता है ताकि व्यक्ति की गतिविधियों के साथ-साथ उनकी स्थिति को व्यक्त किया जा सके। उदाहरण के लिए, “वह खिड़की खोलता है”, “मैं दुकान से बाहर निकलता हूँ”, “तुम नाचते हो” आदि।
5. स्थितिकारी क्रिया से पहले के पूरक:
स्थितिकारी क्रिया से पहले के पूरक का प्रयोग किया जा सकता है ताकि स्थितियों या स्थितियों की अधिक जानकारी मिल सके। उदाहरण के लिए, “मैं सुबह उठता हूँ”, “तुम पास आते हो”, “हम गाड़ी चला रहे हैं” आदि।
स्थितिकारी क्रियाएँ का उपयोग करने का महत्व:
स्थितिकारी क्रियाएँ व्याकरण में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। ये क्रियाएँ हमें व्यक्ति की स्थिति, अवस्था, या भावना को बताने का एक सरल और प्रभावी तरीका प्रदान करती हैं। ये क्रियाएँ भाषा को रंगीन बनाती हैं और बातचीत में गहराई और महत्वपूर्णता को जोड़ती हैं। इसके साथ ही, एक्सप्रेशन और कम्यूनिकेशन के माध्यम से हम अपने विचार और भावनाओं को गहनता के साथ व्यक्त कर सकते हैं।
इसलिए, स्थितिकारी क्रियाएँ सीखना और समझना अंग्रेजी व्याकरण का अहम् भाग है। वे हमें न केवल वाक्य संरचना में सुधार करने में सहायता करती हैं, बल्कि हमें व्यक्ति की स्थिति और भावनाओं को समझने में भी मदद करती हैं। स्थितिकारी क्रियाएं भाषा को विस्तार और मानसिकता के साथ व्यक्त करने का एक प्रमुख तरीका है और यहाँ तक कि यह हमें दूसरों की भावनाओं और भावुकताओं को समझने में भी मदद करती है।